सिग्मंड फ्रायड का मनोलैंगिक विकास सिद्धांत (Sigmund Freud's theory of Psychosexual Development)

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सिग्मंड फ्रायड का मनोलैंगिक विकास सिद्धांत (Sigmund Freud's theory of Psychosexual Development)






अन्य नाम:-

  • मनोविश्लेषणवाद का सिद्धांत।
  • Theory of Psychoanalysis's.


प्रवर्तक:- सिग्मंड फ्रायड (वियना, ऑस्ट्रिया) [न्यूरोलॉजिस्ट]



सिग्मंड फ्रायड के अनुसार:-


  • मन को पानी पर तैरती हुई बर्फ की चट्टान की तरह होता है, जिसका 10% हिस्सा पानी के बहार तथा 90% हिस्सा पानी का अन्दर होता है।
  • मूल प्रवृत्ति, मानव व्यवहार के निर्धारित तत्व होती हैं।
  • बच्चों मे काम प्रवृति जन्म से होती है, परन्तु उसकी प्रकृती अलग होती है।
  • व्यक्ति के व्यक्तित्व विकास पर उसकी काम शक्ति का बहुत प्रभाव पड़ता है।



सिगमंड फ्रायड के अनुसार स्वमोह (नर्सिसिज्म/ Narcissism):-

  • बालक शैशव अवस्था में अपने आप से प्रेम करता है।
  • बालक में अहंकार होता है।
  • नर्सिसिज्म किशोर अवस्था में सर्वाधिक होता है।




सिगमंड फ्रायड के अनुसार मूल प्रवृत्तियां :-

  1. जीवन की मूल प्रवृत्ति (Eros)
  2. मृत्यु की मूल  प्रवृत्ति (Thanatos)

(i). जीवन की मूल प्रवृत्ति (Eros):-

  • जीने के लिए साधन जुटाने के लिए प्रेरित करती है।
  • शारीरिक व मानसिक दोनों पक्षों का प्रतिनिधित्व करती है। 
  • जैसे- काम, वासना, भूख, प्यास आदि।

(ii) मृत्यु की मूल  प्रवृत्ति (Thanatos):-

  • इसे घृणा मूल प्रवृत्ति भी कहा जाता है।
  • इसका संबंध विनाश से है।
  • Eros के विपरीत कार्य करती है। 
  • इसमें व्यक्ति आक्रामक कार्य कर सकता है।





सिगमंड फ्रायड के अनुसार मन (Mind) के प्रकार:-

  1. चेतन मन (Conscious Mind)
  2. अचेतन मन (Unconscious Mind)
  3. अवचेतन मन (Subconscious Mind)


(i). चेतन मन (Conscious Mind):-

  • पूरा मन का 10% हिस्सा होता है।
  • यह वर्तमान परिस्थती से जुड़ा होता है।
  • इस पर हमारा control होता है।


(ii). अचेतन मन (Unconscious Mind):-

  • 90% हिस्सा होता है।
  • इसमें पुरानी दमित इच्छाएं होती हैं जिन्हें व्यक्ति समाज आदि के डर से नहीं करता।
  • इनसे व्यवहार control होता है।


(iii). अवचेतन मन (Subconscious Mind):-

  • चेतन और अचेतन मन के बीच का हिस्सा।
  • जब चीजें याद न आ रही हो तो मन पर जोर देने पर याद आ जाती हैं।
  • अर्द्ध चेतन मन भी कहा जाता है।





सिगमंड फ्रायड के अनुसार व्यक्तित्व:-

मन के आधार पर  फ्रायड ने व्यक्तित्व को तीन भागों में बांटा।
  1. Id (इद/ इदम् )
  2. Ego (अहम् )
  3. Super ego (पराअहम्)

(i). इद / इदम् (Id) :-

  • व्यक्ति में इद जन्म से होता है।
  • इसकी वज़ह से व्यक्ति हमेशा सुख चाहाता है।
  • सुख वादी सिद्धांत पर आधारित होता है।
  • काम प्रवृत्ति  सबसे बड़ा सुख है।
  • इदम् पार्श्विक प्रवृत्ति से जुड़ा है।
  • Id ,Ego अहम् द्वारा नियंत्रित होता है।
  • यह मूल प्रवर्तियों से जुड़ा हुआ है।
  • अचेतन मन का हिस्सा है।
  • इसे दमित इच्छाओं का भण्डार ग्रह कहा जाता है।

(ii). अहम् (Ego):-

  • अहम् (Ego) 1.5-2 वर्ष में प्रारंभ हो जाता है।
  • इसमे  वास्तविकता पर आधारित है।
  • वास्तविकता से जुड़ा है।
  • यह अर्द्ध चेतन मन से जुड़ा है।
  • इसमें उचित अनुचित का ज्ञान होता है।
  • यह मानवतावादी से संबंधित है।
  • यह मनोवैज्ञानिक पक्ष है 
  • Id तथा Super Ego के बीच समाजस्य (Balance) बनाता है।


(iii). पराअहम् (Super ego):-

  • यह 3 वर्ष से शुरू हो जाती है।
  • यह आदर्शवादी सिद्धांत है।
  • सामाजिकता एवं नैतिकता पर आधारित है।
  • यह  Id और Ego पर नियंत्रित करता है।
  • यह चेतन मन से जुड़ा हुआ है।




मनोविश्लेषणवाद के सिद्धांत की अवस्थाएं:-

(i). मुखावस्था (oral Stage):-

  • मनोलैंगिक विकास की पहली अवस्था (जन्म से 1 वर्ष कम आयु)
  • मुख से करने वाली क्रियाओ में आनंद की अनुभूति होती है।
  • जैसे काटना ,चुसना, दूध पीना, चीजो को मूह में लेना आदि।

ऊर्जा, → मुख



(ii). गुदावस्था (Anal Stage):-

  • मनोलैंगिक विकास की दूसरी अवस्था- (1 से 2 वर्ष)
  • इसमें कामुकता का क्षेत्र “गुदा” होता है।
  • बच्चे मल-मूत्र त्यागने और उन्हें रोकने में आन्नद की अनुभूति करते हैं।

ऊर्जा→ गुदा में।


(iii). लैंगिक अवस्था/लिंग प्रधानावस्था (Phallic Stage):-

  • तीसरी अवस्था- (2 से 5 वर्ष)
  • इसमें कामुकता का स्थान “जननेंद्रिय” होता है।
  • लैंगिक अंगों को छूने पर सुख पाता है।
  • Super Ego शुरू हो जाता है।
  • इस अवस्था में लड़के में “मातृ प्रेम” की उत्पति तथा लडकियों में “पितृ प्रेम” की उत्पति होती है
मातृ मनोग्रंथि (Oedipus Complex)→ लड़के में माता के प्रति प्रेम
पितृ मनोग्रंथि (Electra Complex)→ लडकियों में  पिता के प्रति प्रेम



(iv). सुषुप्ता अवस्था/ अव्यक्तावस्था (latency Stage):-

  • चौथी अवस्था  6 से 12 वर्ष
  • इसमें कामुकता का स्थान अदृश्य हो जाता है।
  • बच्चा सामाजिक कार्यो और हमउम्र के बच्चो के साथ खेलने में लग जाता  है


(v). जननेंद्रियावस्था (Genital Stage):-

  • पांचवी अवस्था- (12 वर्ष के बाद)
  • इसमें हार्मोन्स का निर्माण होने लगता है।
  • विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण होने लगता है।




इन्हें भी पढ़ें:-

  1. अधिगम के सिद्धांत (Theories of Learning)
  2. थार्नडाइक का श्रुटि एवं प्रयास का सिद्धान्त  (Thorndike's Trial and Error Theory)
  3. स्किनर का क्रिया प्रसूत अनुबंधन सिद्धांत (Operant Conditioning)
  4. पॉवलाव का शास्त्रीय अनुबंधन सिद्धांत (Pavlov's theory of Classical Conditioning)
  5. C L हल का पुनर्वलन का सिद्धांत (C L Hull’s Reinforcement Theory)
  6. कोहलर का अन्तर्दृष्टि या सूझ का सिद्धांत (Insight theory of learning)
  7. कर्ट लेविन का क्षेत्रवादी अधिगम सिद्धांत (Field Theory of Kurt Lewin)
  8. अल्बर्ट बंडूरा का प्रेक्षणीय सिद्धांत (Albert Bandura's Modeling Theory)
  9. रॉबर्ट गैने द्वारा दिये गये अधिगम के प्रकार (Types of Learning by Robert Gagne)
  10. अधिगम (Learning)
  11. वृद्धि एवं विकास
  12. संज्ञानात्मक विकास (Cognitive Development)
  13. बुद्धि ( Intelligence)



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